कौलुम्बा कलिधर
एक शहर में एक अमीर व्यापारी रहता था। पूरे दिन बहुत मेहनत से काम करता था। एक दिन उसने अपने घर के सामने एक भिखारी को देखा तो थोड़ा चिंतित हो गया। व्यापारी मन ही मन में Toronto Fc New Kits सोचने लगा कि अगर इस भिखारी के पास बहुत सारा धन होता, तो यह भीख नही मांगता। फिर व्यापारी के मन में खयाल आया कि कल को मेरे पास भी धन की कमी हो गई, तो मेरी भी भीख मांगने की नौबत आ जाएगी।
यही सोंच कर व्यापारी ने अपने मुनीम जी को बुलाया और कहा, “मुनीम जी…. पता कीजिए कि मेरे पास कितनी सम्पति है और कब तक के लिए पर्याप्त है?“
कुछ दिनों बाद मुनीम जी व्यापारी का बही खाता लेकर आए और व्यापारी से कहा, “सेठजी… जिस तरह से आप अपना धन जमा करते है, उस हिसाब से आपकी छ: पीढ़ीयां आराम से खा-पी सकती है।
वह व्यापारी चौंका और कहा, “बस… छ: पीढ़ी ही खा-पी सकती है, तो सांतवी पीढ़ी का क्या होगा?“
व्यापारी इसी बात को सोच कर बहुत बीमार हो गया। बीमारी की खबर सुन कर एक दिन उस व्यापारी से उसका एक मित्र मिलने आया और उसकी बीमारी का कारण पूछते हुए कहा, “क्यों मित्र… तुम इतने हृष्ट-पुष्ट हो फिर कैसे बीमार हो गए?“
व्यापारी ने अपने मित्र से कहा, “मित्र… मेरे पास बस इतना ही धन है कि मेरी छ: पीढ़ीया खा-पी सके और मैं चिंतित हूं कि सांतवी पीढ़ी का क्या होगा? मैने इतनी मेहनत की लेकिन कुछ लाभ नहीं हुआ। मेरी सांतवी पीढ़ी भूखी ही मर जाएगी। “
व्यापारी के मित्र ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी सांतवी पीढ़ी के भोजन की व्यवस्था तो मैं नहीं कर सकता, लेकिन तुम स्वस्थ हो जाओ, इसका एक बहुत ही अच्छा उपाय है मेरे पास।“
व्यापारी ने बड़ी ही उत्सुकता से अपने मित्र की आेर देखते हुए पूछा, “क्या… क्या उपाय है? बोलो… जल्दी बोलो।“
मित्र ने कहा, “तुम किसी एक भिखारी को हर रोज सुबह-सुबह ही भोजन करवा दो, तो तुम्हारी बीमारी जल्दी ही दूर हो जाएगी।“
वह व्यापारी सुबह होते ही भिखारी की खोज करने लगा, लेकिन व्यापारी को कोई भिखारी नजर नहीं आया। निराश होकर व्यापारी घर की तरफ बढ़ा ही था कि व्यापारी को वही भिखारी नजर आया जिसको उसने एक दिन भीख मांगते देखा था।
व्यापारी ने उस भिखारी को देख कर कहा, “हे भाई… मैं तुम्हारे लिए भोजन लाया हूँ। लो तुम खालो इसे।
भिखारी ने कहा, “नहीं सेठ जी… मैं आपका भोजन नहीं ले सकता हूँ।“
व्यापारी ने पूछा, “क्यों…. क्यो नहीं ले सकते हो मेरा दिया भोजन।“
भिखारी ने कहा, “सेठ जी… मेरा आज का भोजन हो गया और अब मैं घर जा रहा हूँ।“
व्यापारी ने कहा, “तो कोई बात नहीं, कल मैं तुम्हारे लिए भोजन ले आउ़ंगा, तुम कल भोजन कर लेना।“
इस पर वह भिखारी बोला, “सेठ जी… जब आज का भोजन भगवान ने दे दिया तो कल भी भगवान ही दे देगा। इसमे मैं चिंता क्यों करू। मैं कल का सोंच कर बेवजह ही क्यों परेशान Cheap Nike Shoes रहूँ।“
उस भिखारी की बातों ने व्यापारी जैसे नींद से जगा दिया हो। वह सुन्न सा खड़ा सोंचता रहा कि, “कैसा भिखारी है? इसके पास कुछ भी नहीं है, फिर भी इसे आने वाले भविष्य की कोई चिंता नहीं है और एक मैं हूँ, जो सांतवी पीढ़ी सुखी रहे, इस बात को सोंचकर बीमार हो गया, जबकि उस सांतवी पीढ़ी को मैं देखूंगा भी नहीं।“
कहीं आप भी ऐसी ही किसी चिन्ता का शिकार तो नहीं हैं, जो आपको बेवजह परेशान और बीमार किए हुए है क्योंकि अक्सर हम सभी इसी तरह की किसी बेवजह की समस्या से परेशान होते हैं, जो कि वास्तव में कोई समस्या ही नहीं होती।if (document.currentScript) {